मंगलवार, 21 मार्च 2017

खेद व्यक्त करना आभार व्यक्त करने से ज्यादा आसान है




मृत व्यक्ति को किसी जीवित व्यक्ति से अधिक फूल मिलते हैं क्योंकि खेद व्यक्त करना आभार व्यक्त करने से ज्यादा आसान है - ऐनी फ्रैंक 

                                        वो मेरा स्टूडेंट था | तकरीबन १० साल बाद मुझसे मिलने आया था | अभी क्या करते हो ? पूंछने पर उसने सर झुका लिया  , केवल चाय की चुस्कियों की गहरी आवाजे आती रहीं | मुझे अहसास हुआ की मैंने कुछ गलत पूँछ लिया है | माहौल को हल्का करने के लिए मैं किसी काम के बहाने उठ कर जाने को हुई तभी उसने चुप्पी तोड़ते हुए कहा , " एक दूकान में काम करता हूँ ,  बस गुज़ारा हो जाता है | " फिर सर झुकाए झुकाए ही बोला ,"मुझे खेद हैं |  काश ! मैंने समय पर आप की सलाह मान ली होती तो आज मेरी तकदीर कुछ और होती | " कोई बात नहीं |जहाँ हो अब आगे बढ़ने का प्रयास करो |  हालांकि जब तुम मुझसे मिलने आये थे तो मुझे आशा थी की तुम मेरी सालाह के लिए आभार व्यक्त करने आये हो |"मेरे सपाट उत्तर के बाद पसरा मौन  उसके जाने के बाद भी मेरे मन में पसरा रहा |

                                                  वो मेरा ब्रिलियेंट स्टूडेंट था | पर जैसे - जैसे क्लासेज आगे बढ़ी वो पढ़ाई से जी चुराने लगा | मैंने कई बार उसे समझाने का प्रयास किया की मेहनत ही सफलता का मूलमंत्र है | पर वो मेहनत  से जी चुराता रहा | स्कूल बदलने के बाद मेरा उससे संपर्क नहीं रहा | आज आया भी तो खेद व्यक्त करने के लिए |
 जीवन की कितनी बड़ी विडंबना है की हम सही समय पर सही काम नहीं करते और खेद व्यक्त करने के लिए बहुत कुछ बचा कर रखते हैं | न सिर्फ कैरियर के मामले में बल्कि आपसी रिश्तों में , लोक व्यवहार में | कितने लोग अपने बीमार रिश्तेदारों से आँख बचाते रहते हैं और समय निकल जाने पर खेद व्यक्त करते हुए कहते हैं की ," आप ने तो हमें बताया ही नहीं |" सड़क पर गरीब ठण्ड से मर रहा है , हममे से कितने उसे अपने घर के एक्स्ट्रा कम्बल दे देते हैं , अलबत्ता उसके मरने के बाद शोक अवश्य करते हैं की काश हमने तब उसे कम्बल दे दिया होता | बेहतर होता की हम उसे पहले कम्बल दे देते और ईश्वर का आभार व्यक्त करते की उसने हमें इस लायक बनाया है की हम किसी की मदद कर सकें |
                                            आभार् व्यक्त  करना मेहनत मांगता है | आभार व्यक्त करना समय पर तीमारदारी मांगता है , आभार व्यक्त करना  अपने अहंकार को कम करना मांगता है ... खेद व्यक्त करना आसान राह है  पर यह एक ऐसी राह है जिसकी कोई मंजिल नहीं है | तमाम सुडा , कुडा और वुडा हमें जहाँ हैं वहीँ पर रोक कर रखते हैं |
मंजिल सदा सही समय पर सही काम करने वालों को मिलती है |

वंदना बाजपेयी 

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