बुधवार, 29 मार्च 2017

व्यक्ति के काम उसके शब्दों से कहीं ज्यादा तीव्र स्वर में बोलते हैं


जब लोग आप को अपने बारे में बताते हैं  उन पर विश्वास  करो - माया एंजिलो 


                         ईश्वर ने मनुष्य को वाणी का वरदान दिया है | और वाणी ही उसकी अभिव्यक्ति का  माध्यम है | और वाणी ही उसे सबसे ज्यादा उलझाती भी है | कोई आपसे बात कर के चला जाता है उसके बाद हर बात की विवेचना शुरू  होती है | उसने ऐसा क्यों कहा | उसके पीछे उसका क्या प्रयोजन था | उसकी इस बात में मुझे नीचा दिखाने की साजिश थी | उसकी उस बात में मेरा उपहास करने का भाव था | आदि , आदि | दो लोगों का परस्पर संवाद सौहार्द बढाने के स्थान पर विषाद  बढ़ा देता है | जब हम बात करते हैं तो दो ध्रुव बन जाते हैं | एक बोलने वाला एक सुनने वाला | बोलने वाला अपने पूर्व अनुभव से बोल रहा होता है व् सुनने वाला अपने पूर्व अनुभव के आधार पर बात समझने की कोशिश कर रहा होता है | अपने - अपने स्थान पर खड़े होकर हम दूसरे के बारे में धारणाएं बना लेते हैं | पर क्या वो सही बन पाती हैं ?

                                                    अक्सर लोग जिन रिश्तों में उनका सामंजस्य नहीं बन पाता है उसकी जम कर बुराई करते हैं |कभी - कभी तो वो उन्हें  सोसिओपैथ , साइकोपैथ तक का दर्जा दे देते हैं |खासतौर पर ब्रेक अप के बाद |  ये नए ज़माने का चलन हो गया है | पर क्या हर वो रिश्ता जो टूट गया है उसके पीछे कोई मानसिक विकार ही था | क्या आप ने ऐसा माना है या डॉक्टर का कोई प्रमाण है | ये सच है की मानसिक विकारग्रस्त लोग होते हैं | परन्तु हर किसी कोई किसी दो चार गलतियों के आधार पर इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता | अगर आप ये अंतर नहीं  कर पा रहे हैं  की हमारे साथ बुरा व्यवहार करने वाला सोसिओपैथ , साइकोपैथ है की नहीं तो उनके जीवन पर गौर करिए | क्योंकि ज्यादातर सोसिओपैथ , साइकोपैथ अपने जीवन से पूरी तरह से संतुष्ट करते हैं | उन्हें केवल दूसरों को तकलीफ देने में आनद आता है | जबकि ज्यादातर तक दुखों में घिरे व्यक्ति का स्वाभाव स्वत : ही चिडचिडा हो जाता है | आपने पढ़ा होगा...................
" चोट खाए लोग अक्सर चोट देने वाले होते हैं
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एक ऑफिस में एक मीटिंग हो रही थी | सब अपने - अपने विचार रख रहे थे | अचानक एक व्यक्ति तमतमाता हुआ बोला | मैं जा रहा हूँ आप लोगों जैसे  मूर्ख मेरे रचनात्मक विचारों को नहीं समझ सकते | | जाहिर है सब हर्ट हुए | कौन अपने को मूर्ख सुनना पसंद करेगा | खासकर के जब सब एक लेविल के अधिकारी हों | मामले की तह में जाने पर पता चला की उसका बॉस रोज उसे मूर्ख कह कर संबोधित करता था | वो गुस्सा शायद आज इस मीटिंग में फूटा  था | जैसा  की कहा गया है हर व्यक्ति को दूसरा मौका अवश्य मिलना चाहिए | अगर कोई व्यक्ति आपको हर्ट करता है तो कोई भी निर्णय  लेने से पहले  उसको दूसरा , तीसरा चौथा मौका अवश्य दीजिये | ध्यान दीजिये क्या उनके काम उनके शब्दों के अनुसार हैं | या उसमें विरोधाभास है | उनके शब्द भले ही बुरे हों पर  वह सदा आप के साथ है | हर सुख में हर दुःख में, नर निर्णय में  | तो समझ जाइए उनके शब्द उस बोझ के कारण हैं जो वो अपने मन पर ले कर चल रहे हैं |वैसे ही जैसे आप अगर जलता हुआ कोयला पकड़ लें तो आप चाहेंगे जैसे ही पहला  मौका लगे इसे फेंक दे |  कभी - कभी व्यक्ति दूसरे को हर्ट करके अपने को हील करने का प्रयास करता है  |सास बहू  के रिश्ते से बेहतर इसका उदाहरण और क्या हो सकता है |बहुधा जो बहू ज्यादा सताई जाती है वह सास बन्ने पर अपनी बहू  को ज्यादा सताती है  |  क्या हम भी कभी - कभी ऐसा नहीं करते | दूसरों को हर्ट करके खुद को हील करने  का प्रयास |  ऐसे लोग दया के पात्र हैं |  उन्हें क्षमा करिए और हो सके तो उनके घाव भरने में   मदद करिए | शब्दों से नहीं आचरण से व्यक्ति को पहचानिए |
                    व्यक्ति के काम उसके शब्दों से तीव्र बोलते हैं
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