सोमवार, 9 जनवरी 2017

बाल कहानी - अच्छी मम्मी , गन्दी मम्मी





अरे ये क्या ! आज फिर नीता भाभी की आँखों में आंसू थे | क्यों भाभी अब आज क्या हुआ ननद स्वेता ने पूँछ ही लिया | हालांकि उसे पता था बात जरूर चिंटू की होंगी | उसी ने दिल दुखाया होगा नीता भाभी का | फिर भी भाभी के मूंह से सुनना जरूरी था | भाभी सुबकते हुए बोली अब क्या बताऊ तुम्हे , रोज की बात है ये चिंटू | जनाब जमीन से उगे नहीं हैं और कोई बात न मानने की जैसे कसम खा ली है | अभी खाना खिला रही थी | मैगी चाहिए , रोटी दाल तो गले से उतरती नहीं | जब मैंने मन किया तो वही पुराना डायलॉग ” तुम गन्दी मम्मी हो , हर बात पर टोंकती हो , अपनी मर्जी चलाती हो | “अब तुम ही बताओ स्वेता , ५ साल के बच्चे से रोज -रोज अपने लिए गन्दी मम्मी सुन कर कैसा लगेगा | जिसके लिए दिन भर काम में लगी रहती हूँ वो ही कुछ समझाने पर, गलत काम में रोकने पर गन्दी मम्मी कह देता है |

हां भाभी , आप बात तो सही कह रही हैं | बुरा तो लगता होगा | चिंटू को ऐसे नहीं कहना चाहिए | चलिए कोई बात नहीं मैं उसे समझा दूँगी | नीता भाभी को तसल्ली हो गयी | स्वेता ने रात को चिंटू को मना लिया | चिंटू आज मम्मी के साथ नहीं , बुआ के साथ सोना | मैं तुम्हें एक कहानी सुनाऊँगी | चिंटू खुश हो कर ताली बजाने लगा | वाह बुआ , वाह , कहानी तो मैं जरूर सुनूंगा | रात को चिंटू बुआ स्वेता के पास आ कर लेट गया और प्यार से उसका मुंह अपनी और करके बोला ,” हां बुआ सुनाओ कहानी , कौन सी कहानी सुनाओगी , राक्षस की , परियों की , या जादू वाले तालाब की , जिसमें बड़ा सा अजगर रहता था | स्वेता ने चिंटू के गाल पर मीठी चपत लागाते हुए कहा , ” मैं तुम्हे दो मम्मीयों की कहानी सुनाउंगी | कहानी का नाम है ,” अच्छी मम्मी , गन्दी मम्मी | ” चिंटू कौतुहल से बुआ का मूंह देखने लगा | अरे वाह आज तो बुआ कोई नयी कहानी सुनाएंगी | स्वेता ने कहानी सुनना शुरू किया…….

बहुत पहले की बात है , दो मम्मीयाँ थी | दोनों के २ साल का एक -एक बेटा था | दोनों ही अपने बेटों को बहुत प्यार करती थी | पर जैसा की कहानी का नाम है , वैसे ही एक मम्मी अच्छी थी , जो अपने बेटे को किसी बात पर टोंकती नहीं थी | जो वो करना चाहता था करने देती थी | दूसरी थी गन्दी मम्मी | वो तो बस ! जो भी उसे गलत लगता उस पर टोंक देती | थी न गन्दी मम्मी ,” स्वेता ने चिंटू से प्रश्न किया | हां बुआ ! बहुत गन्दी मम्मी थी | बच्चों को ऐसे बात -बात पर टोंकना अच्छी बात नहीं है | जैसे मम्मी को ही सब पता होता है | बच्चों को कुछ भी नहीं | सच में गन्दी मम्मी | स्वेता ने मुस्कुरा कर आगे कहानी सुनना शुरू किया |
एक बार की बात है दोनों बच्चे रसोई में खेल रहे थे | दोनों को आग बहुत अच्छी लगी | लाल नारंगी कितनी सुन्दर , दोनों बच्चे उसे पकड़ने के लिए घुटूँ घुटुँ आगे बढ़ने लगे | अब गन्दी मम्मी तो गन्दी थी | तुरंत रोक दिया अपने बेटे को | अरे आग की तरफ नहीं | बेचारा रोता रह गया | पर गन्दी मम्मी तो गन्दी मम्मी आदत से मजबूर | पर वो दूसरा बच्चा उसकी मम्मी तो अच्छी थी | बच्चे को रोकती नहीं थी | सो पहुँच गया आग के पास और पकड ली आग | पर ये क्या उसकी चीखों से घर हिल गया | उसका पूरा हाथ जल गया | मम्मी डॉक्टर के पास ले कर दौड़ीं | इतनी सारी दवाइयां खाई दर्द झेला फिर ठीक हुआ | एक दिन फिर दोनों बच्चे खाना खा रहे थे | खाना गन्दी जमीन पर गिर गया | गन्दी मम्मी ने तो टोंक दिया | अरे ये खाना नहीं , पेट खराब हो जाएगा वो बेचारा बच्चा मन मसोस के रह गया | पर अच्छी मम्मी ने बिलकुल मना नहीं किया | उसके बेटे ने गन्दा खाना खाया | पेट खराब हुआ , तीन दिन अस्पताल में रहना पड़ा | बड़े बड़े इंजेक्शन लगे | चिंटू रुआसा सा होने लगा | और बुआ , फिर आगे क्या हुआ , उसने पूंछा ? हां अब तो कहानी खत्म होने वाली है | एक बार की बात है | दोनों मम्मीयाँ छत पर बैठ कर बातें कर रही थी | और बच्चे खेल रहे थे | तभी दोनों बच्चे बिना मुंडेर वाली छत पर किनारे जाने लगे | गन्दी मम्मी ने तो अपने बेटे को रोक लिया | उफ़ वो नहीं सुधरेगी , गन्दी जो थी |स्वेता ने बुरा सा मुंह बना कर कहा | और वो अच्छी मम्मी वाला बच्चा बिना मुंडेर की छत के किनारे की तरफ बढ़ने लगा | आगे आगे और…. आगे … और | बस बुआ बस चिंटू ने बीच में बात काटते हुए हुए कहा ,” अरे कोई रोको उसको वो गिर जाएगा , उसके चोट लग जायेगी , वो मर भी सकता है , जो मम्मी उसको नहीं रोक रही है वो अच्छी मम्मी नहीं है वो गन्दी मम्मी है , बहुत गन्दी मम्मी है , दुनिया की सबसे गन्दी मम्मी है , कहते कहते चिंटू सुबकने लगा | हां चिंटू तुम ठीक कह रहे हो जो अपने बच्चेकी भलाई के लिए उसे नहीं टोंकती वो तो गन्दी मम्मी ही हुई , अच्छी नहीं स्वेता ने चिंटू की बात का समर्थन करते हुए कहा | पर तुम जा कहाँ रहे हो , अगले ही पल स्वेता ने दूसरे कमरे में जाते हुए चिंटू से पूंछा ? मुझे नहीं सुननी कहानी, बुआ मैं जा रहा हूँ अपनी अच्छी मम्मी के पास |
स्वेता मुस्कुरा कर बोली बाय चिंटू , अब चिंटू को अच्छी और गन्दी मम्मी के बीच का फर्क जो समझ आ गया था |
वंदना बाजपेयी 

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